सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद कानून में संशोधन की प्रक्रिया फिर शुरू
सेहतराग टीम
देश में धूम्रपान एवं अन्य तंबाकू उत्पादों की खपत लगातार बढ़ती ही जा रही है। पूरी दुनिया का 12 फीसदी तंबाकू खपत अकेले भारत में होता है। भारत की 70 प्रतिशत वयस्क पुरूष आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू के किसी न किसी उत्पाद का सेवन करती है। वयस्क महिलाओं में ये आंकड़ा 13 से 15 फीसदी तक है। हर वर्ष भारत में करीब एक करोड़ लोगों की मौत तंबाकू उत्पादों के सेवन से हो जाती है।
देश में धूम्रपान को हतोत्साहित करने के लिए सरकारें समय-समय पर कदम उठाती रहती हैं। इसी वजह से पिछले कुछ वर्षों में तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बेतहाशा बोझ बढ़ाया गया है। यही नहीं तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर खतरनाक विज्ञापन छापे जाते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर रोक लगाई गई है। मगर इन सभी उपायों के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं आ रहा है।
अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) में संशोधन की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है ताकि खुली सिगरेटों की बिक्री पर प्रतिबंध तथा नियमों के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना समेत कानून के प्रावधानों को सख्त किया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि इसका उद्देश्य कानून को और अधिक प्रभावशाली बनाना तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण पर रूपरेखा समझौते (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) को और अधिक संगत बनाना है। वर्तमान में निषिद्ध क्षेत्रों में धूम्रपान पर 200 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
मंत्रालय ने 2003 के कानून में कई संशोधनों का प्रस्ताव रखा है और 2015 में ‘सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का नियमन और विज्ञापन प्रतिबंध) संशोधन विधेयक’ के मसौदे को सार्वजनिक पटल पर रखा था।
एक सूत्र ने कहा, ‘हालांकि प्रावधानों के मसौदे पर फिर से विचार करके बेहतर संस्करण लाने के लिए इसे 2017 में वापस ले लिया गया था। हम मसौदा फिर से तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को नये सिरे से शुरू कर रहे हैं।’
पिछले मसौदे में जुर्माना 1000 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव था। इसमें होटलों, रेस्तरांओं और हवाई अड्डों से निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों को हटाने का भी प्रस्ताव था।
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